नूतन लाल साहू

विनती फिल्म निर्माताओं से


हे फिल्म निर्माताओं


भारतीय कला के रहनुमाओं


हर कलाकार,तुम्हारी तिजोरी में बंद हैं


तुम्हारी ही कृपा से,साधारण बंदे भी


क्रांति कुमार कहलाता हैं


इंसाफ का तराजू होता है,ये भुल न जाना


भारतीय सभ्यता और संस्कृति को


तुम आंच न आने देना


फिल्मी जज़्बात देखकर


लड़का लड़की बदनाम हो रहा है


अनेक, पाकिटमार हो गया है


अपहरण और बलात्कार की घटना


दनादन बढ़ रहा है


मेरे आंगन में तुम्हारा,क्या काम है


ये अपने मां बाप को कह रहा है


आप घोड़े को, गधा न बनाओ


आपको सौ सौ बार प्रणाम है


इंसाफ का तराजू होता है,ये भुल न जाना


भारतीय सभ्यता और संस्कृति को


तुम आंच न आने देना


सपरिवार एक साथ,फिल्म देख सके


ऐसा फिल्म बनाना


राधा कृष्णा सा प्रेम लीला दिखाना


अपराध जगत को भुल जाये


भक्त प्रहलाद सा भक्ति अपनाये


आपकी कृपा,कुछ ऐसा बरसे


गधा भी घोड़ा बन जाये


गाने को इतना,सीरियसली ले


मीरा सा,प्रभु का गुणगान करे


आपकी चांदी की छड़ी


कलाकार के पीठ पर,ऐसा पड़े


घर एक, सुंदर मंदिर कहलाये


इंसाफ का तराजू होता है,ये भुल न जाना


भारतीय सभ्यता और संस्कृति को


आंच न आने देना।


 


नूतन लाल साहू


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

दयानन्द त्रिपाठी निराला

पहले मन के रावण को मारो....... भले  राम  ने  विजय   है  पायी,  तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम  रहे  हैं  पात्र  सभी   अब, लगे...