नूतन लाल साहू

अब के जमाना में


रात दिन हरहर कटकट के


कलजुग ह खरागेहे


अइसन जिनगी ह,का जिनगी ये


अब के समय हा, दुभर होगे


आदमी पन ले,में बिट्टागेव


बमफार के, नहि ते


सुसक सुसक के,रो लेतेव


अइसन लागत हे


कोन अइसन, बइद हे


जोन सब मनखे के दुख हरे


झन आवय,नवा नवा बीमारी ह


अइसन उदीम करे


रात दिन हरहर कटकट के


कलजुग ह, खरागेहे 


अइसन जिनगी ह,का जिनगी ये


हाय समागे, राऊर छागे


भईसा सही कमावत हन


तभो ले पुर नी आवत हे


येती वोती रोटी खातिर


घुमत हन देश विदेश


फुटबाल कस,धक्का खावत हन


तभो ले घर म,करुवा गेहन


रात दिन हरहर कटकट के


कलजुग ह, खरागेहे


अइसन जिनगी ह,का जिनगी ये


अंधविसवास,गरीबी अउ लाचारी


संगे संगे अतियाचारी


सबो सन लड़त हन


दया ममता सलाह सुनता


दिनोदिन कमजोर पड़त हे


पुर वाही के पावन ला, कइसे में मनाव


बगरा दे तैहर, आस के अंजोर


अइसन हावे, ये जिनगी के खेल


रात दिन हरहर कटकट के


कलजुग ह, खरागेहे


अइसन जिनगी ह,का जिनगी ये


नूतन लाल साहू


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

दयानन्द त्रिपाठी निराला

पहले मन के रावण को मारो....... भले  राम  ने  विजय   है  पायी,  तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम  रहे  हैं  पात्र  सभी   अब, लगे...