राजेंद्र रायपुरी

ज्ञाता भूत-भविष्य के 


 


ज्ञाता भूत-भविष्य के, 


                दिखें न अबअखबार।


करने बाधा दूर जो,


                 रहते थे तैयार। 


रहते थे तैयार,


                हमेशा जैसे घोड़ा।


 देकर झाॅ॑सा जेब,


               जिन्होंने खूब निचोड़ा।


कोरोना की मार,


              पड़ी उनको भी भाई।


निज़ भविष्य तो बाॅ॑च, 


             कहे अब रोज लुगाई।


 


             ।। राजेंद्र रायपुरी।।


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