तुम ही मेरे राम साजन,
तुम ही मेरे श्याम हो।
तुम ही शिव हो,तुम ही विष्णु,
तुम ही तो बलराम हो।
तुम ही मेरे राम साजन,
तुम ही मेरे श्याम हो।
जब तलक तुमको न देखूॅ॑,
चैन आता है नहीं।
सच कहूॅ॑ तो तुम बिना,
कुछ भी मुझे भाता नहीं।
तुम ही तो हो चैन मेरा,
तुम ही तो आराम हो।
तुम ही मेरे राम साजन,
तुम ही मेरे श्याम हो।
मन के मंदिर में बिठाया,
है सजन मैऩें तुम्हें।
चाह बस ये देव मेरे,
दूर मुझसे मत रहें।
पूजती हर दिन तुम्हें मैं,
जब सुबह या शाम हो।
तुम ही मेरे राम साजन,
तुम ही मेरे श्याम हो।
तुम ही काशी,तुम ही मथुरा,
तुम ही मेरे द्वारिका।
और कितने नाम लूॅ॑ मैं,
है ये लम्बी तालिका।
कुछ ही लफ़्ज़ों में कहूॅ॑ तो,
तुम ही चारो धाम हो।
तुम ही मेरे राम साजन,
तुम ही मेरे श्याम हो।
।। राजेंद्र रायपुरी।
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