सोच-समझकर वोट दें
शंखनाद है हो गया,
सेनाऍ॑ तैयार।
लेकिन लड़ना है उन्हें,
घर से अबकी बार।
पाॅ॑डव या कौरव कहो,
दें किसको हम नाम।
सारे ही तो एक से,
सारे हैं बदनाम।
साॅ॑पनाथ है एक तो,
दूजा उसका बाप।
कुर्सी पा डॅ॑सते सभी,
जान रहे हैं आप।
लालच में मत आइए,
दो पैसे के आप।
वोट बेचना मानिए,
सबसे भारी पाप।
सोच-समझकर वोट दें,
आप सहित परिवार।
भ्रष्टाचारी की नहीं,
बनने दें सरकार।
।। राजेंद्र रायपुरी।।
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