हे गिरधारी, बंशीवाले,(२)
मुझको भी पहचानो,हे प्रभु,
मुझको भी पहचानो।
मैं हूॅ॑ तुम्हारी राधा जैसी, (२)
दूजा मत तुम जानो,हे प्रभु,
दूजा मत तुम जानो।
निश दिन तेरे गुण मैं गाऊॅ॑। (२)
माखन -मिश्री भोग लगाऊॅ॑। (२)
हाथ जोड़ कर कहती हे प्रभु,(२)
खा लो, ज़िद मत ठानो।
मुझको भी पहचानो,हे प्रभु,
मुझको भी पहचानो।
नाचूॅ॑ मंदिर में मैं तेरे। (२)
मोहन हर दिन, शाम-सबेरे। (२)
लोक-लाज सब छोड़ दिया है,(२)
कहो न घूंघट तानो।
मुझको भी पहचानो,हे प्रभु,
मुझको भी पहचानो।
तुमको सब-कुछ मान लिया है।(२)
जग विरथा ये जान लिया है। (२)
निज़ चरनन में ही रहने दो,। (२)
जग बैरी है मानो।
मुझको भी पहचानो,हे प्रभु,
मुझको भी पहचानो।
हे गिरधारी, बंशी वाले।(२)
मुझको भी पहचानो,हे प्रभु,
मुझको भी पहचानो।
मैं हूॅ॑ तुम्हारी राधा जैसी। (२)
दूजा मत तुम जानो, हे प्रभु,
दूजा मत तुम जानो।
।। राजेंद्र रायपुरी।।
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