वोटों की बरसात
टर्राएगी फिर अभी, नेताओं की जात।
होनी है कुछ प्रांत में, वोटों की बरसात।
वोटों की बरसात, इन्हें है भाती भाई।
इसके खातिर रोज, ज़ुबानी करें लड़ाई।
पाने इसको नोट, और ये बाॅ॑टें ठर्रा।
अब तो समझो राज़, रहे क्यों नेता टर्रा।
।। राजेंद्र रायपुरी।।
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