रामकेश एम. यादव

बातें अच्छी नहीं !


 


नफा-नुकसान की बातें तिज़ारत के लिए अच्छी, 


मगर दोस्ती में इस तरह की बातें अच्छी नहीं। 


बारिश हुई है और फूल खिलकर हँसने लगे, 


पतझड़ के मौसम की चर्चा इस वक़्त अच्छी नहीं। 


सारे काम छोड़ो ऊपरवाले की रजा पर, 


चलाओ अपनी मर्जी, ये बात अच्छी नहीं। 


सुकून औ चैन सबका खो गया है आजकल, 


निकलो नहीं घर से, बाहर की हवा अच्छी नहीं। दुनिया परेशां है कोरोना वायरस से, 


बरस रही है मौत इस वक़्त , हँसी अच्छी नहीं। 


लूट रहे हैं कुछ हॉस्पिटल दोनों हाथों से, 


इस तरह की खिदमतगारी बिलकुल अच्छी नहीं। 


कोई नहीं है अपना इस भरे जमाने में, 


हो सके नेक काम करो, दुश्मनी अच्छी नहीं। 


क़ातिलों के मोहल्ले में घर लेना ठीक नहीं, 


उनसे नजदीकियां बढ़े, ये बात अच्छी नहीं। 


प्यार करना कोई बुरी बात नहीं जहां में,


झांसेवाली आवारगी, बात अच्छी नहीं। 



रामकेश एम. यादव (कवि, साहित्यकार)मुंबई 


अध्यक्ष शब्दाक्षर महाराष्ट्र,


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