रवि रश्मि अनुभूति

उड़ते पक्षियों की हमने तो , चाल सदा पहचानी है ..... 


जो भी न समझे वही उसकी , ये तो नादानी है ..... 


 


हौसला रख कर ही तो सुनो , भरते हैं उड़ान ही वो 


उड़ते - उड़ते रहे देखते , सारा जहान ही वो 


दुनिया सुनो पंछियों की ही , हुई सदा दीवानी है ..... 


जो भी न समझे वही उनकी , ये तो नादानी है .....


 


पंछी प्यारे हैं रह सकते , नहीं कभी बंधन में  


खुश होते हैं आ कर ही तो , सारे ही आँगन में 


साथ पंछियों का तो लगता , बहुदा रूहानी है .....


जो भी न समझे वही उनकी , ये तो नादानी है .....


 


घोंसला बना घर में सुन लो , आते - जाते ही हैं 


जब मर्ज़ी वो जाते हैं जब , हो मर्ज़ी आते हैं 


कितनी ज़िदादिल सदा उनकी , रही ये रवानी है ..... 


जो भी न समझे वही उनकी , ये तो नादानी है .....


 


उड़ते पक्षियों की हमने तो , चाल पहचानी है .....


जो भी न समझे वही , उसकी नादानी है .....


 


(C) रवि रश्मि 'अनुभूति '


   मुंबई ( महाराष्ट्र ) ।


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