हिंदी में ही पली बढ़ी हूं हिंदी है आधार
माँ हिंदी से विनती मेरी हो सपना साकार
नित नित इनकी करू मैं सेवा इनके ही गुण गावू
हिंदी में ही जियू हमेशा हिंदी में मर जावू
सकल विश्व मे बसती हिंदी यही हमारी शान है
हिंदी मेरी मात्र की भाषा और हम सबकी जान है
हिंदी में ही संस्कार है हिंदी ही संसार है
भूले गर तुम माँ हिंदी को तो दुनिया बेकार है
सदाचार व सर्वश्रेष्ठता हिंदी ही सिखलाती है
नैतिकता भी रखना अंदर माँ हिंदी बतलाती है
आओ मिल कर नमन करे हम माँ हिंदी की जान को
हमे बचाये रखना होगा माँ हिंदी की शान को
ऋचा मिश्रा रोली
श्रावस्ती बलरामपुर
उत्तर प्रदेश
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