मातृभूमि
अहा मातृभूमि ! भारतभूमि!
तुमको प्रणाम है तेरा यशोगान है
सूरज का तेज़ बसा मुख पर
स्वर्णिम रश्मि की छाया है
चंदा की बिंदिया माथे पर
मलय पवन की काया है
अहा मातृभूमि ....
तीन रंग परिधान तेरा है
गंगा - यमुना का आंचल
हिमगिरी तेरा भाल मुकुट है
विश्व को बहुत लुभाया है
अहा मातृभूमि ...
हरे - भरे यह खेत तेरे हैं
फल-फूलों युक्त हैं वन-उपवन
अपने उर में किये समाहित
खनिज सम्पदा के भंडारण
अहा मातृभूमि ..
तेरी आन की खातिर जो
अंतिम क्षण तक संधर्ष किये
ऐसे वीर सपूतों ने तेरा
भाल न कभी झुकाया है
अहा मातृभूमि ...
शौर्य पराक्रम कर्मठता से
लोहा ले दुश्मन से जो
जल थल नभ में उन वीरों ने
परचम तेरा लहराया है
अहा मातृभूमि ! भारतभूमि!
तुमको प्रणाम है, तेरा यशोगान है।
रेखा बोरा
लखनऊ
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