अकेलापन
तेरे प्यार का मुझको,
यदि मिले जाए आसरा।
तो जिंदगी हंसकर के,
गुजर जाएगी मेरी।
और अंधेरे दिल में,
रोशनी हो जाएगी।
और अकेलापन मेरा,
दूर हो जाएगा।।
तुझे देख कर दिल,
धड़कने लगा है।
बुझे हुए चिराग,
फिर से जल उठे।
कुछ तो बात है तुममें,
जो दिलकी धड़कन हो।
और फिरसे जीने की,
तुम ही किरन हो।।
दिलों का मिलना भी,
एक इत्तफाक ही तो है।
तुमसे प्यार होना भी,
एक इत्तफाक ही तो है।
तभी तुम बार बार मेरे,
सपनो में आते जाते हो।
और मेरे अकेलापन को,
दूर कर जाते हो।।
जय जिनेन्द्र देव की
संजय जैन (मुम्बई)
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