संजय जैन मुम्बई

ठंडी हवाओ के झोंको से 


आ रही फूलों की महक।


चिड़ियों की चहको से 


मिल गया आपका संदेश।


दुआ करते है ईश्वर से


की हमें मिलता रहे। 


आपका जैसे दोस्त का 


स्नेह और प्यार।।


 


दूर है दोनों के किनारे


पर दिल से एक है।


मिलना मिलाना तो हो जाएगा,


यदि जिंदगी बची रही तो।


इसलिए संजय कहता है इच्छा शक्ति को जिंदा रखेंगे।


तो अपने मित्र से आपकी


मुलाकात हो जाएगी।।


 


कही दीप जल रहे है


तो कही छाय पढ़ रही है।


कही दिन निकल रहा है


तो कही रात हो रही है।


मोहब्बत करने वालो को


इन सब से क्या लेना देना।


क्योंकि दोनों के दिल 


दिल से मिल गये है।।


 


दिया तले अंधेरा है जो


रोशन को तलाशता है।


और हर रोज नई 


उम्मीदे लेकर आता है।


शायद कोई रोशनी की 


किरण दिख जाये।


और अंतरात्मा में कोई 


कमल खिल जाए।।


 


दिल को छू जाए रचना 


वो अच्छी होती है।


प्यार अपनो का मिल जाये 


वो ही रचना सच्चा होती है।


क्योंकि ऐसी रचनाएं काल्पनिक नहीं होती।


ये तो दिल से निकालकर


दिलो तक पहुंच जाती है।।


 


जय जिनेन्द्र देव


संजय जैन मुम्बई


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

दयानन्द त्रिपाठी निराला

पहले मन के रावण को मारो....... भले  राम  ने  विजय   है  पायी,  तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम  रहे  हैं  पात्र  सभी   अब, लगे...