सत्य है स्वामी शरण तेरे..
मेरे राधे माधव जैसा तो
मैंने देखा नहीं संसार में
वह दोनों ही बिक जाते
अपने भक्तों के प्यार में
नरसी का भरा मायरा
रसखान को दर्श दिया
द्रोपदी का चीर बढाया
विदुर का सम्मान किया
गुरु संदीपनी गुरुमाता
सुत लाकर सुखी किये
दो मुट्ठी चावल बदले
सुदामा को त्रिलोक दिये
सत्यस्वरूप व राधे रानी
युगलरूप हरो दुःख मेरे
दया भाव बनाये रखना
सत्य है स्वामी शरण तेरे।
युगलरूपाय नमो नमः
सत्यप्रकाश पाण्डेय
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें