श्री मती व्यंजना आनन्द की गीता का लोकार्पण

बिहार की बेटी ने दिया जनमानस को प्रेरणा स्रोत- गीता


गत दिनाँक 23-09-2020 को सनातन धर्म के पवित्र ग्रंथ काव्य गीता के हिन्दी अनुवाद का सफलतापूर्वक विमोचन हुआ जो कि बेतिया(बिहार) के जी जो साहित्य साधक अखिल भारतीय साहित्यिक मंच के उपाध्यक्षा भी है उसी की लेखनी की देन है।


23-09-2020 के शाम को व्यञ्जना आनन्द जी के हिन्दी गीता ग्रन्थ समीक्षात्मक विमोचन ऑनलाइन ज़ूम एप्पलीकेशन द्वारा भव्यता के साथ हुआ। गत कार्यक्रम की अध्यक्षता डा.कवि कुमार निर्मल ने किया जिन्होंने बताया कि ये ग्रंथ समाज को सरलता के साथ नैतिकता की राह दिखायेगा। वहीं कार्यक्रम के मुख्य अतिथि रामनाथ साहू "ननकी भईया" जी व्यञ्जना आनन्द जी को ढेरों शुभकामनाएं देते हुए काव्यवक पाठ किया। विशिष्ट अतिथि विजय बागरी जी एवं डॉ० राणा जयराम सिंह प्रताप संरक्षक साहित्य साधक अखिल भारतीय साहित्यिक मंच से थे। इस कार्यक्रम में सम्पूर्ण भारतवर्ष के कोने कोने से साहित्यकार उपस्थित हुए और इस ग्रन्थ पर अपना-अपना मत एवं काव्यपाठ प्रस्तुत किये कहीं पर  पंकज बजाज जी द्वारा बंगाली भाषा में भजन रोमांचित रहा तो वहीं सोलापुर (मुम्बई) की बेटी क्षितिजा व जयपुर की शान इशिता ने अपने नृत्य से सबके हृदय पर गहरा छाप छोड़ दिया कार्यक्रम में आदरणीया डा.सुनीता सिंह, आचार्य गुनिंद्रानंद अवधूत, पंकज बजाज, , शिव प्रकाश पाण्डेय, शर्मा, डॉ० राम प्रकाश पथिक, अशोक कुमार झाखड़, आदि साहित्यकार उपस्थित रहे एवं अपना मन्तव्य व प्रस्तुति दिए।


कार्यक्रम का संचालन श्री मती माधुरी मंजूषा जी एवं ग़ाज़ीपुर के शिव प्रकाश पाण्डेय जी ने सफलता पूर्वक किया। कहीं मंजूषा जी ने दोहे का रस छलकाया तो कहीं पाण्डेय जी ने मुक्तक द्वारा पत्थर में संवेदना जगाई। कार्यक्रम के सम्पन्नता की घड़ी में सभी उपस्थित साहित्यकारों को श्रीमती व्यञ्जना आनन्द द्वारा धन्यवाद ज्ञापित करते समय उनके चक्षुओं में हर्ष के अंबार दिखाई दे रहे थे और उन्होंने बताया कि उनकी प्रेरणा के स्रोत उनके दादा जी कविवर विमल राजस्थानी जो बहुत अच्छे कवि थे वही रहें । वे सदा सृजन ऐसी कर जो जन कल्याण हेतु काम आए कहा करते थे और यह बताते हुए वह भाव विभोर हो गईं ।


इस लोकार्पण कार्यक्रम में साहित्य साधक मंच के संरक्षक डॉ.राणा जयराम सिंह प्रताप, सपना सक्सेना दत्ता, अध्यक्ष शशिकांत शशि , प्रियदर्शनी जी ,अमर सिंह निधि एवं संस्थापक कृष्ण कुमार क्रांति भी शामिल हुए और श्री कृष्ण कुमार क्रांति ने कहा व्यंजना आनंद जी द्वारा रचित श्रीमद्भगवद्गीता का सृजन जनमानस के लिए अमृत के समान है इनके पाठन एवं श्रवण से मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होगी।


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