वर्णमाला प्रदीप छंद
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अखिल अवनि पर हिंदीभाषी,
साधक अमित अपार हैं।
आओ आज करा दूँ परिचय,
कैसे वर्ण-विचार हैं।।
*अ* -अद्भुत अनुपम है यह दुनिया,
*आ* -आते मन में भाव हैं।
*इ* -इसीलिए इस भव-सागर में,
*ई* -ईश्वर सुख की नाव हैं।।
*उ* -उड़ा दंभ में जो सब भूला,
*ऊ* -ऊपर सबसे जानता।
*ऋ* -ऋद्धि-सिद्धि सुख से वंचित पर,
*ए* -एक नहीं वह मानता।।
*ऐ* -ऐसा व्याकुल मन लेकर वो,
*ओ* -ओझल है प्रभु बोलता।
*औ* -और कहे मैं जग का स्वामी,
*अं* -अंकुर मुझसे डोलता।।
*अः* -अः हतभागी कब समझेगा,
*क* -कण-कण में भगवान हैं।
*ख* -खनक रहीं जो खुशियाँ जग में,
*ग* -गति यति सँग लयमान हैं।।
*घ* -घटता-बढ़ता सूर्य चन्द्र भी,
*च* -चहके उज्ज्वल कांति से।
-चलता है संसार सर्वदा,
*छ* -छमछम करता शांति से।।
*ज* -जड़ता जब तक मन के अंदर,
*झ* -झरना बहे न प्रीति का।
*ट* -टकरायें सुविचार परस्पर,
*ठ* -ठहरे सागर नीति का।।
*ड* -डरें किसी से कभी नहीं हम,
*ढ* -ढलें प्रेम-विश्वास में।
*त* -तनिक समझ लें हिय की भाषा,
*थ* -थकें न,आयें पास में।।
*द* -दया-त्याग जैसे गुण पनपें,
*ध* -धन-धीरज अनमोल हो।
*न* -नतमस्तक हो सच को मानें,
*प* -परम सत्य हर बोल हो।।
*फ* -फलीभूत हो तब अभिलाषा,
*ब* -बनें तभी सब काम भी।
*भ* -भय कैसा जब वरदहस्त हो,
*म* -महादेव का नाम भी।।
*य* -यही बताते धर्म सभी को,
*र* -रहना मिलकर साथ में।
*ल* -लड़ने से क्या मिल जायेगी?
*व* -वसुधा तुमको हाथ में।।
*श* -शहद सरस हो जाये जीवन,
*ष* -षड़यंत्रों से दूर हो।
*स* -समझो-सीखो सहज सरलता,
*ह* -हठ से मत भरपूर हो।।
*क्ष* -क्षमा करो देखो मत अवगुण,
*त्र* -त्रस्त समस्त विकार हों।
*ज्ञ* -ज्ञान-दीप हों दिव्य 'अधर' पर,
*श्र* -श्रद्धा सदृश विचार हों।।
👉 *ङं,ञ,ण,ड़,ढ़*
आगे आने से कतराते,
बैठे हैं मुख मोड़ के।
अधिक हठीले ङं ञ् ण ड़ ढ़ ये,
रहते पर मन जोड़ के।।
शुभा शुक्ला मिश्रा 'अधर'❤️✍️
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