कहाँ-साथी होगा तेरा?
यौवन की दहलीज़ पर साथी,
भटका फिर जो कदम तेरा।
कैसे-मिलेगी मंज़िल साथी?
कहाँ -थमेगा कदम तेरा?
देख पल पल सपने सुहावने,
कहाँ-होगा साथी तेरा?
यथार्थ धरातल पर जो देखा,
साथी संग चला न मेरा।।
मंगल-अमंगल हो न हो यहाँ,
साथी साथ निभाये तेरा।
साथी-साथी कहते जिसे फिर,
कहाँ-साथी होगा तेरा?"
सुनील कुमार गुप्ता
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