मन-वचन और कर्म से यहाँ,
संग हो सत्य का वास।
तभी तो जीवन जग में यहाँ,
साथी छायेगा मधुमास।।
साधना-अराधना संग ही,
होता जीवन में प्रभु वास।
प्रेम-सेवा-त्याग संग ही,
फिर सुख का होता आभास।।
परमार्थ संग जीवन-पथ पर,
फिर मिले मन को विश्वास।
सत्य बने आधार जीवन का,
साथी छाये न अविश्वास।।
सुनील कुमार गुप्ता
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