जीवन में
अनचाह दर्द जब-जब साथी,
यहाँ समा जाता जीवन में।
घुटन बन रह जाती साथी,
फिर हर चाहत इस तन-मन में।।
सपने तो सपने है-साथी,
कब-सच होते जीवन में?
चल सके सत्य-पथ पर साथी,
चाहत रहती पल-पल मन में।।
बाँट सके यहाँ दर्द मन का,
कोई तो साथी हो जग में।
मिले ख़ुशी अपनों को पल-पल,
ऐसा संग मिले जीवन में।
सुनील कुमार गुप्ता
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