सुनील कुमार गुप्ता

एक न एक दिन


 


एक न एक दिन तो,


जीवन में साथी-


सबको ही जाना होगा।


घोर अंधेरी रात के बाद,


साथी जग में-


सूरज को आना ही होगा।


कब- तक छायेगी गम की बदली,


इन्द्रधनुषी रंगों को-


साथी जीवन में गहराना होगा।


बीत चुकी काल रात्री,


नव भोर में मुस्कराना-


और जीवन सुखद बनाना होगा।


भूलकर अपना-बेगाना,


सबका साथ-


निभाना होगा।


एक न एक दिन तो,


जीवन में साथी-


सबको ही जाना होगा।।


 


 सुनील कुमार गुप्ता


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