एक ऐसा युग पुरूष,
छोड़ चला दुनियाँ को-
फिर न मिलेगा कोई।
राजनीति के स्तम्भ,
लौहा मनते सब-
उन जैसा मिलेगा न कोई।
वित्त मंत्री के रूप में,
खूब कमाया नाम-
उन जैसा मिलेगा न कोई।
सत्ता पक्ष हो या विपक्ष,
सभी में पाया सम्मान-
उन जैसा मिलेगा न कोई।
छोड़ कर वो चला गया,
नाम अमर कर गया-
उन जैसा मिलेगा न कोई।
पूर्व राष्ट्पति प्रणव मुख्रर्जी जी को,
देव लोकमें भी मिले सम्मान-
और न कामना कोई।।
सुनील कुमार गुप्ता
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