महके जीवन बगिया साथी
"राग-विराग संग जीवन में,
चलना दुर्गम-पथ पर साथी।
दीपक जले नेह का पल-पल,
पग-पग सुख ही होगा साथी।।
आस्था संग ही जीवन को,
फिर मिलेगा आधार साथी।
खोये न आधार जीवन का,
इतना सोचो पल-पल साथी।।
मोह-माया के बंधन संग,
खिले न अपनत्व का फूल साथी।
प्रेम-सेवा-त्याग संग फिर,
महके जीवन बगिया साथी।।"
सुनील कुमार गुप्ता
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