दूर हो मन का अंधेरा
जला दीप ज्ञान के पग-पग,
दूर हो मन का अंधेरा।
संग आशाओं के साथी ,
होगा जीवन में सवेरा।।
भूले कटुता मन की यहाँ,
ऐसा मिले साथी तेरा।
सच हो सपने मन के यहाँ,
जग में हो खुशियों का डेरा।।
महक उठे धरती अम्बर,
गम का न हो कही बसेरा।
जला दीप ज्ञान के पग-पग,
दूर हो मन का अंधेरा।।
सुनील कुमार गुप्ता
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