सुनील कुमार गुप्ता

तन-मन रहता बेचैन


"मिले सम्मान इतना जग में,


साथी उपजे न अभिमान।


अपनो संग जीवन-पथ पर,


फिर बना रहे स्वाभिमान।।


इतना रखना ध्यान साथी,


अपनत्व का न हो अपमान।


पग-पग पर फूल खिले साथी,


अपनत्व को मिले सम्मान।।


सद् कर्मो संग जग में साथी,


मिलता है-मन को चैन।


स्वार्थ की धरती पर साथी,


तन-मन रहता बेचैन।।


 


 सुनील कुमार गुप्ता


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