सार्थक होता जीवन अपना,
पल-पल देखे ऐसा सपना।
सत्य-पथ पर चल कर साथी,
यहाँ रूठे न कोई अपना।।
मिले अपनत्व अपनो से साथी,
सच हो जाये जीवन सपना।
प्रेम-सेवा और त्याग संग,
सार्थक होता जीवन अपना।।
स्वार्थ की धरती पर फिर से,
बने न कोई साथी अपना।
त्यागमय होता जो जीवन,
सार्थक होता तन-मन अपना।।
सुनील कुमार गुप्ता
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