अपनो के बीच
"मन के अंधेरो में साथी,
जला दें आशा के दीप।
कर दे यहाँ उज़ाला जग में,
पग-पग पर जला कर दीप।।
महका जीवन बगिया साथी,
संग स्नेंह जल से सींच।
त्यागमय जीवन संग साथी,
पा खुशी अपनो के बीच।।
अधर्म न हो जीवन में साथी,
कर्मो को सत्य संग सींच।
सद् कर्मो का फल मिले ऐसे,
खिले कमल कीचड़ के बीच।।"
सुनील कुमार गुप्ता
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें