सुनील कुमार गुप्ता

हिन्दी का नित दिन करे प्रयोग,


हिन्दी का बढ़े-


पग-पग सम्मान।


मातृभाषा बने राष्ट्भाषा,


कही पर भी साथी-


हो न इसका अपमान।


हर दिन हो हिन्दी दिवस,


क्यों-मनाये अलग से-


बना रहने दो इसका सम्मान।


एक दिन मना कर हिन्दी दिवस,


भूल न जाना इसको-


होगा अपना और हिन्दी का अपमान।


हिन्दी सम्पर्क भाषा बन,


हर हृदय में बसी-


तभी कहते हिन्दी-हिन्दी हिन्दुस्तान।


भाषाएं और भी अच्छी है,


सीखे बढाएं-


अपना ज्ञान बने महान।


मातृभाषा बने राष्ट्भाषा,


कही पर भी साथी-


हो न इसका अपमान।।


 


 सुनील कुमार गुप्ता


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