ग़म नहीं मुझको सुनाना दिल का।
सुन लिया तो है रुलाना दिल का।
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खूब आंखों को भिगोते वो हैं।
भा गया जिनको तराना दिल का।
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शब सुबह चैन नहीं है उनको।
गा रहे जो हैं फ़साना दिल का।
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जिस्म दो एक अगर हो जाएं।
है वही अच्छा लगाना दिल का।
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चार आँखें जो हुईं आँखों से।
दिल बना फिर तो निशाना दिल का।
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सुनीता असीम
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