सुनीता असीम

ग़म नहीं मुझको सुनाना दिल का।


सुन लिया तो है रुलाना दिल का।


****


खूब आंखों को भिगोते वो हैं।


भा गया जिनको तराना दिल का।


****


शब सुबह चैन नहीं है उनको‌।


गा रहे जो हैं फ़साना दिल का।


****


जिस्म दो एक अगर हो जाएं।


है वही अच्छा लगाना दिल का।


****


चार आँखें जो हुईं आँखों से।


दिल बना फिर तो निशाना दिल का।


****


सुनीता असीम


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

दयानन्द त्रिपाठी निराला

पहले मन के रावण को मारो....... भले  राम  ने  विजय   है  पायी,  तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम  रहे  हैं  पात्र  सभी   अब, लगे...