इश्क करके छिपा नहीं सकता।
औ किसीको बता नहीं सकता।
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दिल की बातें किसे कहूँ मैं भी।
हर किसीको सुना नहीं सकता।
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ग़मजदा जो रहे सदा ही तो।
उसके दुख को बढ़ा नहीं सकता।
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वो किसी और की अमानत है।
उसको अपना बना नहीं सकता।
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जो समझदार खुद को समझे है।
कोई उसको पढ़ा नहीं सकता।
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सुनीता असीम
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