ये जाके सजन को ख़बर कीजिए।
मुहब्बत को उनकी नज़र कीजिए।
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अकेले कटेगा नहीं ये सफ़र।
ज़रा दिल में आके बसर कीजिए।
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दिखे चारसू चांदनी चांदनी।
कभी ज़िन्दगी को क़मर कीजिए।
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कि मंज़िल मिलेगी हमें एक दिन।
अगर कुछ समय का सबर कीजिए।
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न छोटा न कोई बड़ा है यहां।
जो अपना बड़ा कुछ जिगर कीजिए।
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ये जीवन बनेगा ग़ज़ल इक सही।
सही आप इसकी बहर कीजिए।
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यही है खुदा से महज इक अरज।
दुआओं में मेरी असर कीजिए।
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सुनीता असीम
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