सुनीता असीम

ये जाके सजन को ख़बर कीजिए।


मुहब्बत को उनकी नज़र कीजिए।


****


अकेले कटेगा नहीं ये सफ़र।


ज़रा दिल में आके बसर कीजिए। 


****


दिखे चारसू चांदनी चांदनी।


कभी ज़िन्दगी को क़मर कीजिए।


****


कि मंज़िल मिलेगी हमें एक दिन।


अगर कुछ समय का सबर कीजिए।


****


न छोटा न कोई बड़ा है यहां।


जो अपना बड़ा कुछ जिगर कीजिए।


****


ये जीवन बनेगा ग़ज़ल इक सही।


सही आप इसकी बहर कीजिए।


****


यही है खुदा से महज इक अरज।


दुआओं में मेरी असर कीजिए।


****


सुनीता असीम


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

अखिल विश्व काव्यरंगोली परिवार में आप का स्वागत है सीधे जुड़ने हेतु सम्पर्क करें 9919256950, 9450433511