सुनीता असीम

इश्क की बाजी लगा दी जाए।


ओट घूंघट की हटा दी जाए।


****


मीत जिसको न मिले मन का सा।


आस मिलने की जगा दी जाए।


****


चैन से जो जी रहा हो उसको।


क्यूं बेचारे को सजा दी जाए।


****


फेंकता कौन सही है पासे।


चलके शतरंज बिछा दी जाए।


****


आस जिसकी खो गई जीने की।


उसको उम्मीद बंधा दी जाए।


****


बिन पिए होश गए हों जिनके।


आज उनको भी पिला दी जाए।


****


कुछ जगह देना मेरे दिल को भी।


धाक इसकी भी जमा दी जाए।


****


सुनीता असीम


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

अखिल विश्व काव्यरंगोली परिवार में आप का स्वागत है सीधे जुड़ने हेतु सम्पर्क करें 9919256950, 9450433511