एक दुनिया से ये गिला है मुझे।
दर्द उससे सिरफ़ मिला है मुझे।
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स्वांग करते सभी सिखाने का।
संग उनका लगे कज़ा है मुझे।
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नफरतों से भरा रहा रस्ता।
पर खुदा की फली दुआ है मुझे।
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कुछ खुदा से नहीं मुझे शिकवा।
हद से ज्यादा सभी दिया है मुझे।
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दिल सुनीता का है नहीं काबू।
प्रेम भगवान का मिला है मुझे।
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सुनीता असीम
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