सुनीता असीम

एक दुनिया से ये गिला है मुझे।


दर्द उससे सिरफ़ मिला है मुझे।


***


स्वांग करते सभी सिखाने का।


संग उनका लगे कज़ा है मुझे।


***


नफरतों से भरा रहा रस्ता।


पर खुदा की फली दुआ है मुझे।


***


कुछ खुदा से नहीं मुझे शिकवा।


हद से ज्यादा सभी दिया है मुझे।


***


दिल सुनीता का है नहीं काबू।


प्रेम भगवान का मिला है मुझे।


***


सुनीता असीम


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

अखिल विश्व काव्यरंगोली परिवार में आप का स्वागत है सीधे जुड़ने हेतु सम्पर्क करें 9919256950, 9450433511