अपने जिनके रक़ीब होते हैं।
वो बड़े बदनसीब होते हैं।
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चैन मिलता नहीं कभी उनको।
जाने कितने सलीब होते हैं।
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सार रिश्तों का जो समझ जाते।
खास बनकर करीब होते हैं।
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रोज़ पढ़ते रहें रिसाले वो।
जो भी सच्चे अदीब होते हैं।
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प्यार भरकर मिला करे झोली।
लोग वो खुशनसीब होते हैं।
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सुनीता असीम
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