सुषमा दीक्षित शुक्ला

जीवन किस ओर चला 


 


पल की सुधि में युग बीत गए,


 जाने जीवन किस ओर चला ।


 


 जिस पल से मन के मीत गए,


 जाने दर्पण किस ओर चला।


 


 प्रिय लाली चूनर तार-तार ,


जाने कंगन किस ओर चला ।


 


प्रियतम का अप्रतिम दुलार ,


मन बन जोगन किस ओर चला।


 


पल की सुधि में युग बीत गए ,


जाने जीवन किस ओर चला।


 


 जिस पल से मन के मीत गए,


 जाने दर्पण किस ओर चला ।


 


वह माँग सिंदूरी श्वेत हुई ,


जाने यौवन किस ओर चला।


 


 वह मीठी बातें प्रियतम की,


 वो मधुर मिलन किस ओर चला।


 


पल की सुधि मे युग बीत गये ,


जाने जीवन किस ओर चला ।


 


 जिस पल से मन के मीत गए ,


जाने दर्पण किस ओर चला ।


 


सुषमा दीक्षित शुक्ला


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