सुषमा दीक्षित शुक्ला

तुम बिन कौन उबारे 


 


थोड़ी सी मुस्कान कन्हैया ,


जग को दे दो प्यारे ।


हर कोई है व्यथित यहाँ तो ,


 अपने दुख से हारे।


 इस धरती पर आकर खुद,


 तुमने भी दुख क्रूर सहे ।


 कारागृह में जन्म लिया ,


निज मात-पिता से दूर रहे ।


नंद यशोदा के लाला बन ,


ग्वाल बाल संग मेल किया ।


 गोपी गइया मोर मुरलिया ,


 इन सब के संग खेल किया ।


राधा के कान्हा तुमने ,


अमर प्रेम इतिहास किया ।


नंद यशोदा के लाला बन 


रक्त नात को मात दिया ।


मैत्री का इतिहास रचाया ,


दीन सुदामा मीत बनाकर।


 उनके दुख दारिद्र्य मिटाया ,


 अद्भुत प्रेम निछावर देकर।


दुष्ट कंस पापी को मारा ,


 सब की सघन सुरक्षा की।


 गोवर्धन पर्वत करे धारण,


 शरणागत की रक्षा की ।


दुष्ट दैत्य पूतना बकासुर 


एक एक कर सब मारे ।


अब दुखों का नाम मिटा दो ,


राधा जी के तुम् प्यारे ।


बने सारथी जब अर्जुन के ,


कर्म योग संदेश दिया ।


स्वयं जटिल जीवन जीकर भी ,


 गीता का उपदेश दिया।


 तड़प उठी मानवता अब ,


ये केवल तुम्हें पुकारे ।


तुम बिन मेरे कान्हा ,


  अब ये नइया कौन उबारे ।


थोड़ी सी मुस्कान कन्हैया ,


जग को दे दो प्यारे ।


हर कोई है व्यथित यहाँ तो ,


अपने दुख से हारे ।


 


सुषमा दीक्षित शुक्ला


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