सुषमा दीक्षित शुक्ला

प्यार मेरा आजमा कर देख लो।


इक दफा मुझको बुला कर देख लो।


 


रात ओ दिन जल रही शम्मे वफ़ा।


 हो सके तो पास आकर देख लो।


 


 खाक का इक ढेर हूं तुम बिन सनम ।


इक दफा आंखें उठाकर देख लो।


 


 जोगने बन चुकी रातें दिन हुए बेनूर हैं।


 और भी मुझको मिटा कर देख लो ।


 


अश्क सूखे आंख में अब लव सिले हैं।


 रूह की चादर उठाकर देख लो।


 


 वक्त कितना बेरहम था एक दिन।


 दर्द के लम्हे छुपा कर देख लो ।


 


तेरे बिना बिल्कुल चला जाता नहीं।


फिर मुझे दिल से लगाकर देख लो। 


 


 तुम न आओ तो बुला लो यार मेरे।


 सुष पुराने पल चुरा कर देख लो।


 


सुषमा दीक्षित शुक्ला


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