ये जो मेरा वतन है
ये जो मेरा वतन है,
ये जान से प्यारा वतन है ।
आज अपनी ही जमी है ,
आज अपना ही गगन है ।
अपनी हवा मे साँस ले ,
अपनी हवा मे गुनगुनाएं ।
अपने नियम अपने तरीके ,
नित हमें आगे बढायें ।
रहते यहाँ हिंदू मुसलमाँ ,
सदा से ही नेह से ।
नित सुनाती कुरां भी ,
अरु वेद ध्वनि हर गेह से ।
हमसब अगर झगड़ें कभी ,
पर वक्त पर हैं एक होते ।
है अजब सी एकता ,
हम विश्व को सन्देश देते ।
हम भूल सकते ना कभी ,
जो देश हित बलि चढ़ गये ।
जिनकी कठिन कुर्बानियों से,
आज हम सब बढ़ गये ।
बदनीयत से ग़र देख ले ,
कोई हमारे देश को ।
माँ भारती की शपथ है ,
क्षण भर बचे ना शेष वो ।
ये जो मेरा वतन है ,
ये जान से प्यारा वतन है ।
आज अपनी ही ज़मी है
आज अपना ही गगन है ।
सुषमा दीक्षित शुक्ला
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