सुषमा दीक्षित शुक्ला

कान्हा मुरली ना बजाओ,


 आधी रतियन मा ।


 कान्हा हमका ना सताओ,


 आधी रतियन मा ।


कान्हा मुरली ना बजओ ,


 आधी रतियन मा ।


कान्हा निदिया ना चुराओ ,


आधी रतियन मा ।


 शाम सवेरे रोज दिखत हो ,


 जमुना जी के तीर।


 ग्वाल बाल गोपिन संग खेलत ,


 हमरे मनवा पीर ।


कान्हा हियरा ना जलाओ,


 आधी रतियन मा ।


कान्हा हमका ना सताओ ,


 आधी रतियन मा ।


 कान्हा मुरली ना बजाओ ,


  आधी रतियन मा ।


 कान्हा तुम्हरी सांवरि सूरति ,


 भोले भाले नयना ।


तुम मनमोहन जनम के नटखट,


 मीठे तुम्हरे बयना ।


कान्हा चैना ना चुराओ ,


 आधी रतियन मा ।


कान्हा हमका ना सताओ ,


आधी रतियन मा ।


कान्हा मुरली ना बजाओ ,


आधी रतियन मा ।


भोर भये पनघट पर आऊँ ,


सुन मनमोहन प्यारे ।


वंशी तुम्हरी आज चुरा लूँ,


तुम दुनिया से न्यारे ।


कान्हा हमका ना बुलाओ ,


आधी रतियन मा ।


कान्हा मुरली ना बजाओ ,


आधी रतियन मा ।


 


सुषमा दीक्षित शुक्ला


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