सभी पितरों को नमन
कल तक हमारे संग थे
अब ब्रह्म में विलीन है।
आशीष और स्नेह की
गंगा बरसाते थे सदा।
आप हमारे पूजनीय
हम आपकी संतान हैं।
पितृपक्ष प्रारंभ है
आओ चलो स्वागत करें।
शामिल हुए पुरखों में वो
तस्वीर में जाकर बसे।
धूप दीप नैवेद्य से हम
एक बार फिर बंधन करें।
भूल चूक हो अगर
क्षमा करें क्षमा करें।
सुख संपदा बनी रहे
आपके आशीष से।
कृपा सदा बनी रहे
आप की परिवार पे।
वंदना शर्मा (बिंदु)
देवास जिला मध्य प्रदेश
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