विनय साग़र जायसवाल

किस कदर इल्तिफ़ात करते हैं


उनसे हम जब भी बात करते हैं


 


उनसे बस एक यह शिकायत है


बातो बातों में मात करते हैं 


 


जब भी मिलती है यह नज़र उनसे


एक पल में क़नात करते हैं


 


फूल खिलते हैं दिल के गुलशन में


जब वो नज़रों से घात करते हैं


 


प्यार के यह हसीन लम्हे ही


ख़ूबसूरत हयात करते हैं 


 


शाद चेहरे हैं शेर पढ़कर यूँ 


हम लहू को दवात करते हैं


 


शामे-ग़म अपनी यूँ गुज़रती है 


आँसुओं को फ़रात करते हैं


 


आदमी सोच भी नहीं सकता


काम वो हादसात करते हैं


 


हमसे दीवाने ही फ़कत साग़र


रंगी-ऐ-कायनात करते हैं 


 


🖋️विनय साग़र जायसवाल


इल्तिफ़ात-कृपा ,मेहरबानी ,दया 


क़नात--कपड़े की दीवार 


हयात-जीवन ,ज़िन्दगी


शाद-- ख़ुश, प्रसन्न 


फ़रात-एक नदी 


कायनात-दुनिया, संसार


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