काव्यकुल संस्थान अर्द्धशती काव्योत्सव

का पावन मंच और और उसके राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ राजीव पाण्डेय का जन्मदिवस का अवसर तो परिवार के सभी वैश्विक कवि मित्रों द्वारा आयोजन *अर्द्धशती काव्योत्सव* भी विशेष रहा।


मण्डला मध्यप्रदेश से अनेकों किताबों के प्रणेता डॉ(प्रो) शरद नारायण खरे की अध्यक्षता में सम्पन्न इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि टोकियो से जापान हिंदी कल्चरल सेंटर की अध्यक्ष डॉ रमा शर्मा विशिष्ट अतिथि भूमिका में अबुधावी से ललिता मिश्रा, तंजानिया से सी ए अजय गोयल, अमेरिका से प्राची चतुर्वेदी सहित देश के जाने माने कवि कवयित्रियों ने अपनी सुमधुर वाणी से कार्यक्रम को शिखर तक पहुँचाया।


दिल्ली से कार्यक्रम के आयोजक रजनीश स्वच्छंद, संयोजक कुसुमलता कुसुम के इस अनूठे आयोजन में ऑनलाइन4 घण्टे बही काव्य रस धारा।


रांची से सुमधुर कण्ठ की धनी डॉ रजनी शर्मा चन्दा की वाणी वन्दना से कवि सम्मेलन हुआ।


संस्था के अध्यक्ष डॉ राजीव पाण्डेय के 50वें जन्मदिन पर आयोजित इस कार्यक्रम में 25 कवियों ने अपनी प्रस्तुति देकर भाव विभोर कर दिया।


अबुधावी से ललिता मिश्रा ने जीवन के विभिन्न प्रसंगों को लेकर कहा


 आज पचासवे जन्मदिवस पर 


मेरे कुछ उदगार यहाँ


स्वीकार करें ये पुष्प सुगंधित 


मान हमारा बढ़ जाएगा ।


संस्थान के राष्ट्रीय समीक्षक नोयडा से सोमदत्त शर्मा सोम की भावाव्यक्ति ने कार्यक्रम को गरिमामय बना दिया-


हे विराट-व्यक्तित्व! हे देव-पुरुष! हे नवल-भागीरथ!!                   


छूकर व्योम तुमने पूर्ण किये सकल साहित्य -मनोरथ!!


काव्य कुल संस्थान में स्वर्ग से,ले आये ज्ञान-गंगा !                 


महाभाग! परमार्थी बनकर किया सभी का मन चंगा।


कार्यक्रम के अध्यक्ष डॉ शरद नारायण खरे ने अपने चिर परिचित अंदाज में मुक्तकों के माध्यम से अनुपम काव्य पाठ किया जो काफी सराहा गया।


अमेठी से प्रधानाचार्य डॉ राघवेन्द्र पाण्डेय द्वारा सृजित इन पंक्तियों को बहुत वाहवाही मिली


कीर्ति फैले दशों दिक् में आलोक-सी सूर्य,चंदा,सितारों की हो भव्यता;


घर में सौंदर्य सारे मिलें आपको 


प्रिय - स्वजन में समाई रहे नव्यता।


आजमगढ़ से कवि राजेश मिश्र नवोदयी की इन पंक्तियों ने बरबस ही सबका ध्यान अपनी ओर खींच लिया-


  हम सबके प्यारे हैं दुनिया में न्यारे हैं... 


हिंदी साहित्य के सच में जगमग ध्रुव तारे हैं... 


जिनकी छत्रछाया में हम कवि नवल कविता सुनाएं.... 


वाराणसी से विद्वान कवि डॉ ब्रजेंन्द नारायण द्विवेदी शैलेश के अनुपम गीतों ने झूमने पर मजबूर कर दिया 


अति उदार हैं ह्रदय के,ये डॉक्टर राजीव।


मुझ जैसे पाषाण से,रखते प्रीत अतीव।


इस समारोह में दिल्ली से ओंकार नाथ त्रिपाठी ने नयनों पर अदभुत गीत सुनाया।


अयोध्या से डॉ हरिनाथ मिश्र ने प्रेमगीत सुनाकर मोहित कर दिया। झांसी से कवयित्री कुंती जी ने आत्म मोक्ष की दार्शनिक कविता सुनाई।


नोयडा से नेहा शर्मा ने इतिहास को संकेतों से व्यक्त किया


 


जिसका घोड़ा है इतिहास के पन्नों में, उसका नाम मिटाया क्यूं?


शौर्य का बखान तो किया, किन्तु उस वो नाम ना मिला,


निर्भीकता का तांडव करता, दर्ज उसे सम्मान ना मिला।


जिसकी तलवार की धार से हुए भयभीत, उसे यूं दफनाया क्यूं? 


 


अर्द्धशती काव्योत्सव में राजेश सिंह श्रेयस , साधना मिश्रा लखनऊ, अहमदाबाद से नलिनी शर्मा कृष्णा, छत्तीसगढ़ से संजय बहिदार, दिल्ली से यशपाल सिंह चौहान , मण्डला मध्यप्रदेश से डॉ नीलम खरे, दिल्ली से कुसुमलता कुसुम, कुमार रोहित रोज, नालन्दा से रजनीश स्वछंद, गाजियाबाद से गार्गी कौशिक, आदि कवियों ने अपनी रचनाएं सुनाकर कार्यक्रम को शिखर तक पहुंचाया।


कार्यक्रम का संचालन एवं आभार प्रदर्शन संस्था के अध्यक्ष डॉ राजीव पाण्डेय ने किया।


प्रस्तुति


डॉ राजीव पाण्डेय


राष्ट्रीय अध्यक्ष


काव्यकुल संस्थान(पंजी)


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

दयानन्द त्रिपाठी निराला

पहले मन के रावण को मारो....... भले  राम  ने  विजय   है  पायी,  तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम  रहे  हैं  पात्र  सभी   अब, लगे...