आशुकवि नीरज अवस्थी

इधर असामाजिक दुर्दांत घटनाओं पर बहुत कुछ लिखा जा रहा है हम दुखी नही आहत नही बल्कि गुस्से में है और ऐसी घटनाओं का दुष्प्रचार कतई नही कर कर सकते है तो यह करे जो हम कह रहे है:


 


गद्दी पर बैठे गद्दारों कुछ तो अच्छा काम करो।


कर न सको तो छोड़ो गद्दी व्यर्थ न नींद हराम करो।


दानवीय कुकृत्यों पर अब लिखना पढ़ना बन्द करो।


दम है तो इन प्रेतों के वध करने का परबन्ध करो।


चौराहे पर मुंड काट दो सरे आम बाजारों में।


आक्रोशित जनताको सौंपो पैशाचिक हत्यारों को।


न्याय व्यवस्था को बदलो मत संविधान बदनाम करो।


कर न सको तो छोड़ो गद्दी व्यर्थ न नींद हराम करो।


आशुकवि नीरज अवस्थी 9919256950


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