सामाजिक व्यंग्य
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जीजी की शादी में जूतों का चमकाना
अभय सक्सेना एडवोकेट
याद आगया मुझको वो दिन सुहाना
जीजी की शादी में जूतों का चमकाना।
बरात में कुछ आम तो बहुतेरे खास भी होते हैं
बेवजह कमियां निकालने के उस्ताद होते हैं।
उन्हीं में से खासमखास यूं जिद कर बैठे
मोची को बुलाओ और मेरा जूता पालिस कराओ।
जनवासे से मोची कभी का जा चुका था
दूल्हा भी घोड़ी चढ़ आगे बढ़ चुका था।
सख्त मुसीबत में फंस गई थी जान
अभय बेचारा कैसे बचाता इनसे अपनी आन।
तुरंत ही उसने दिमाग का दरवाजा खोल दिया
झट रुमाल निकाल उनका जूता साफ किया।
यह देख दीदी के ससुर लगे गुस्साने
क्यों लगे अभी से अपनी खासियत दिखाने।
बहू के भाई को भी नहीं छोड़ा
तुमने तो हमें कहीं का भी नहीं छोड़ा।
यह सुन मैंने उनके चरण पकड़ लिये
छोड़िए बाबूजी
यहतो चलता ही है
लड़के और लड़की वालों में कुछ फर्क होता ही है।
क्षमा करें अभय को और शर्मिंदा न करें
कृपा करके आप भी अपने पैरों को आगे करें
आगे करें
आगे करें।।
अभय सक्सेना एडवोकेट
४८/२६८, सराय लाठी मोहाल, जनरल गंज, कानपुर।
मो.९८३८०१५०१९
८८४०१८४०८८
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