अर्चना द्विवेदी

नमो हे!मातु जग जननी,करो उपकार हे!देवी,


भुजाओं में प्रबल बल हो,मिले उपहार हे!देवी।


कभी भी सच नहीं हारे, छलावे,झूट के आगे,


न अंतस में कलुषता हो,रहे बस प्यार हे!देवी।।


 


                    अर्चना द्विवेदी


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