देवानंद साहा "आनंद

प्रातः वन्दन-


 


कोई साथ न दे,साथ अपनी तकदीर तो है।


मन बहलाने के लिए दिल में तस्वीर तो है।


मिल जाये कोई फरिश्ता राह-ए-मंज़िल में;


जो किया कुछ भला उसकी तासीर तो है।।


 


------------देवानंद साहा "आनंद अमरपुरी"


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

दयानन्द त्रिपाठी निराला

पहले मन के रावण को मारो....... भले  राम  ने  विजय   है  पायी,  तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम  रहे  हैं  पात्र  सभी   अब, लगे...