डॉ. हरि नाथ मिश्र

गांधी


गांधी तुझे सलाम तेरे नौनिहालों का,                      


मिलता जवाब तुझमें सारे सवालों का।।


        दुनिया को जो ठगे थे,


        गंदी- घिनौनी चालों से।


        ऐसे गुमानी गोरे जो,


         निज आसुरी कुचालों से।


विधिवत दिया सबक उन्हें अपने ख़यालों का।।


                               गांधी तुझे सलाम तेरे नौनिहालों का।।


         क्रांति का जवाब तुमने,


         शांति से दिया।


         पनाह शोषितों को बिना,


         भ्रांति के दिया।


तोड़ा ग़ुरूर तूने सारे भुवालों का ।।


                              गांधी तुझे सलाम तेरे नौनिहालों का।।


         लगता बहुत अजीब कि,


          तू है कोई मानव।


          कृषकाय तू भले रहे,


          देखा नहीं पराभव ।।


बन गए इतिहास कञ्चन अपनी मिसालों का।।


                             गांधी तुझे सलाम तेरे नौनिहालों का।।


          इंद्र के घमण्ड का,


          तुम कृष्ण रूप हो।


           पाप के विनाश का,


           तुम विष्णु रूप हो।


तुम ही अमोघ औषधि जग के बवालों का ।।


                           गांधी तुझे तुझे सलाम तेरे नौनिहालों का।।


          बढ़ता है पाप जब-जब,


         धरती पे चारो- ओर।


         कराहती है सभ्यता,


         ममता चुराये चोर।


होता है जन्म जग में तुम, जैसे वालों का।।


                          गांधी तुझे सलाम तेरे नौनिहालों का।।


          शत-शत नमन तुम्हें,


          विराट-दिव्य रूप!


          अस्थि-मांस-पिंजर,


           हे देव के स्वरूप!


श्रद्धा-सुमन स्वीकारो आज, अपने लालों का।।


                        गांधी तुझे सलाम तेरे नौनिहालों का।।


       ©डॉ. हरि नाथ मिश्र


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 अपराजेय गांधी


 व्यक्ति नहीं पूजा जाता,


पूजा जाता है व्यक्तित्व-


व्यक्ति तो होता है हाड़-मांस का एक पुतला, 


जिसकी नियति है गल जाना-सड़ जाना-पूर्ण रूपेण


समाप्त हो जाना।


अमरत्व,दैवत्व की श्रेणी में आता है व्यक्तित्व-


कल था-आज है-


और कल भी रहेगा।


उसके व्यक्तित्व से होती है,


व्यक्ति की उपादेयता।


सुन्दर-स्वस्थ-हट्टा-कट्टा वह भले ही हो-


पर,मर्यादा विहीन गठीला बदन किसी भी-


काम का नहीं।


राम-कृष्ण-बुद्ध-ईसामसीह-मोहम्मद मात्र-


नाम और व्यक्ति ही नहीं-मूल्यों-आदर्शों एवं


मर्यादाओं के प्रतीक उदात्त व्यक्तित्व हैं।


बाधाएँ-रोड़े-अनअपेक्षित घटनायें राह की


बाधक नहीं हो सकतीं-


चेत पक्का हो लक्ष्य अथवा ध्येय।


कठिनाइयाँ तो आएँगीं-अपना काम करेंगीं।


हमें भी अपना काम करना है।


  कठिनाइयों से लड़ना है।


स्थापित करना है मूल्यों को,मर्यादाओं को।


 टूटना नहीं-बिखरना नहीं-मुड़ना नहीं-


बस,चलते ही रहना है-चलते ही रहना है -


       था यही सिद्धांत उसका


कहते हैं जिसे हम


        गांधी।


गांधी व्यक्ति नहीं,


व्यक्तित्व है।


एक प्रभावशाली सोच का


नाम है गांधी।


उनकी मानवी श्रेष्ठ सोच ने ही


बना दिया उन्हें अमर


आज भी उनके अस्तित्व और


श्रेष्ठ सोच से नहीं किया जा सकता


कदापि इनकार।


सत्य-अहिंसा का पुजारी,


वह महा मानव है विराट व्यक्तित्व-


अपराजेय हैं गांधी।


      ©डॉ0हरि नाथ मिश्र


 9919446372


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