*वाणी*(दोहे)
वाणी से व्यक्तित्व की,होती है पहचान।
मीठी वाणी अमिय सम,कड़वी सर-संधान।।
गरल-कलश हिय में धरे,दुर्जन बोले बोल।
मधु वाणी के शस्त्र से,हते प्राण अनमोल।।
ज्ञानी-सज्जन-संत के,सीधे-मीठे बोल।
दुष्ट-हठी-इर्ष्यालु जग,बोलें गोल-मटोल।।
वाणी से ही मनुज का,है जग पर अधिकार।
श्रेष्ठ सृजन यह सृष्टि का,है वाणी-उपकार।।
वाणी से ये वेद हैं,गीता-शबद-क़ुरान।
वाणी से यह बाइबिल,देती सबको ज्ञान।।
वाणी ब्रह्म-स्वरूप है,संस्कृति का आधार।
विद्या देवी मातु को,ज्ञापित है आभार।।
मधुर वचन से सुख मिले,मिले सदा संतोष।
घटे सकल धन पर यही,जीवन-अक्षुण कोष।।
©डॉ0हरि नाथ मिश्र।
9919446372
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