*देवी माँ का वंदन*(दोहे)
माता के नौ रूप हैं,नौ ही हैं घट-द्वार।
पाकर माँ-आशीष ही,कटता कष्ट अपार।।
विमल हृदय से यदि करें,माता का सम्मान।
निश्चित सुख-वैभव मिले, रहे सुरक्षित मान।।
दोनों ही नवरात्रि में,होता प्रकट स्वरूप।
विधिवत व्रत-पूजा करें,दर्शन मिले अनूप।।
माता परम कृपालु हैं,अमित प्रेम का कोष।
पाकर आशीर्वाद ही,मिले हृदय को तोष।।
धन्य-धन्य माँ हो तुम्हीं, ममता का भंडार।
करो कृपा हे मातु तुम,देकर अपना प्यार।।
है पुकारता भक्त तव,आरत वचन उचार।
माता आओ द्वार मम,करो कष्ट-उपचार।।
सकल सृष्टि की धारिणी,सकल सृष्टि का स्रोत।
पा प्रकाश तेरा जलें, रवि-शशि ये खद्योत।।
©डॉ0हरि नाथ मिश्र
9919446372
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